भजन

सुंदर श्री कृष्ण भजन और मंत्र हिंदू परंपरा का एक अभिन्न अंग हैं और दुनिया भर में भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखते हैं। इन भक्ति गीतों की मनमोहक धुन और आत्मा को झकझोर देने वाले बोल श्रोताओं को दिव्य कृपा के दायरे में ले जाने और भगवान श्री कृष्ण के लिए उनके दिलों को प्यार और भक्ति से भरने की शक्ति रखते हैं।

भगवान श्री विष्णु, भगवान श्री कृष्ण को समर्पित भजन और मंत्र भगवान की दिव्य शक्ति और कृपा की अभिव्यक्ति हैं। ये गीत भक्तों के अपने प्रिय भगवान के प्रति गहरे प्रेम और भक्ति की अभिव्यक्ति हैं और उनका आशीर्वाद और कृपा पाने का एक साधन हैं।

भजनों और मंत्रोच्चारण की मधुर ध्वनि, एक सुखदायक और शांतिपूर्ण वातावरण बनाती है जो आत्मा को उन्नत करती है और हृदय को आनंद और संतोष से भर देती है। ये भक्तिमय भजन न केवल पूजा का एक रूप हैं, बल्कि परमात्मा से जुड़ने और भक्ति की शक्ति को एक अनोखे और आत्मा को झकझोर देने वाले तरीके से अनुभव करने का एक साधन भी हैं।

सुंदर श्री कृष्ण भजन और मंत्र, भगवान श्री कृष्ण के लिए भक्तों के प्रेम और भक्ति की दिव्य अभिव्यक्ति हैं। उनके पास भक्तों को दिव्य कृपा के दायरे में ले जाने और उनके दिलों को भगवान के लिए प्रेम और भक्ति से भरने की शक्ति है। ये भजन उन सभी के लिए हैं जो परमात्मा से जुड़ना चाहते हैं और भक्ति की शक्ति का अनुभव करते हैं और अपने जीवन में भगवान श्री कृष्ण की उपस्थिति को महसूस करते हैं। भक्ति की इस यात्रा में हमारे साथ जुड़ें और इन दिव्य भजनों की सुंदरता को अपने दिल और आत्मा को आनंद और संतोष से भरने दें।

सुंदर भगवान श्री कृष्ण भजनों के साथ दिव्य भक्ति प्राप्त करें

मोहक भगवान श्री कृष्ण भजन और मंत्रों के साथ दिव्य कृपा की सुंदरता का अनुभव करें
दिव्य अनुग्रह और भक्ति के क्षेत्र में आएं और अपने दिल और आत्मा को आनंद और संतोष से भर दें।

श्री विष्णु शांताकरम मंत्र

शांताकरम भुजगशायनम पद्मनाभम सुरेशम
विश्वाधारं गगनसदृशम मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मीकांतम कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वंदे विष्णुम भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम॥

भगवान श्री कृष्ण - श्री विष्णु
भगवान श्री कृष्ण - श्री विष्णु

जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
ओम जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे
दुख विन्से मन का
स्वामी दुख विन्से मन का
सुख संपति घर आवे
सुख संपति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ओम जय जगदीश हरे

मात पिता तुम मेरे
शरण गहून किसकी
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं जिसकी
ओम जय जगदीश हरे

तुम पूरन परमात्मा
तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी
पार ब्रह्म परमेश्वर
पार ब्रह्म परमेश्वर

तुम सबके स्वामी
ओम जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर
तुम पालन कर्ता
स्वामी तुम पालन कर्ता
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भरता
ओम जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर
सब के प्राण पति
स्वामी सब के प्राण पति
किस विधि मिलून दयामय
किस विधि मिलून दयामय
तुम को मैं कुमति
ओम जय जगदीश हरे

दीन बंधु दुख हरता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ओम जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वामी पाप हारो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
संतन की सेवा
ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
ओम जय जगदीश हरे

भगवान श्री कृष्ण - श्री विष्णु
भगवान श्री कृष्ण - श्री विष्णु

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